बाल समय रवि भक्षि लियो तब | Sankat Mochan Hanuman Ashtak | Hanuman Chalis | Ram | SriRamJanmBhumi

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बाल समय रवि भक्षि लियो तब: Sankat Mochan Hanuman Ashtak New Version

This Is The New Version or you can Say Unplugged Version Of बाल समय रवि भक्षि लियो तब (Hanuman Ashtak) sung by Arjun Kumar.

Its a Small Try, Hope You Will Like This.

This Is a Famous Lord “Hanuman Bhajan” From The Album “Hanuman Chalisa” which Is written By “Goswami Tulsidas”.

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Lyrics Of बाल समय रवि भक्षि लियो तब (Sankat Mochan Hanuman Ashtak):

Lyrics of बाल समय रवि भक्षि लियो तब (Sankat Mochan Hanuman Ashtak)

बाल समय रबि भक्षि लियो तब, तीनहुँ लोक भयो अँधियारो ।

ताहि सों त्रास भयो जग को, यह संकट काहु सों जात न टारो ॥

देवन आन करि बिनती तब, छाँड़ि दियो रबि कष्ट निवारो ।

को नहिं जानत है जग में कपि, संकटमोचन नाम तिहारो ॥ 1 ॥

बालि की त्रास कपीस बसै गिरि, जात महाप्रभु पंथ निहारो ।

चौंकि महा मुनि शाप दिया तब, चाहिय कौन बिचार बिचारो ॥

के द्विज रूप लिवाय महाप्रभु, सो तुम दास के शोक निवारो ।

को नहिं जानत है जग में कपि, संकटमोचन नाम तिहारो ॥ 2 ॥

अंगद के संग लेन गये सिय, खोज कपीस यह बैन उचारो ।

जीवत ना बचिहौ हम सो जु, बिना सुधि लाय इहाँ पगु धारो ॥

हेरि थके तट सिंधु सबै तब, लाय सिया-सुधि प्राण उबारो ।

को नहिं जानत है जग में कपि, संकटमोचन नाम तिहारो ॥ 3 ॥

रावन त्रास दई सिय को सब, राक्षसि सों कहि शोक निवारो ।

ताहि समय हनुमान महाप्रभु, जाय महा रजनीचर मारो ॥

चाहत सीय अशोक सों आगि सु, दै प्रभु मुद्रिका शोक निवारो ।

को नहिं जानत है जग में कपि, संकटमोचन नाम तिहारो ॥ 4 ॥

बाण लग्यो उर लछिमन के तब, प्राण तजे सुत रावण मारो ।

लै गृह बैद्य सुषेन समेत, तबै गिरि द्रोण सु बीर उपारो ॥

आनि सजीवन हाथ दई तब, लछिमन के तुम प्राण उबारो ।

को नहिं जानत है जग में कपि, संकटमोचन नाम तिहारो ॥ 5 ॥

रावण युद्ध अजान कियो तब, नाग कि फाँस सबै सिर डारो ।

श्रीरघुनाथ समेत सबै दल, मोह भयो यह संकट भारो ॥

आनि खगेस तबै हनुमान जु, बंधन काटि सुत्रास निवारो ।

को नहिं जानत है जग में कपि, संकटमोचन नाम तिहारो ॥ 6 ॥

बंधु समेत जबै अहिरावन, लै रघुनाथ पाताल सिधारो ।

देबिहिं पूजि भली बिधि सों बलि, देउ सबै मिति मंत्र बिचारो ॥

जाय सहाय भयो तब ही, अहिरावण सैन्य समेत सँहारो ।

को नहिं जानत है जग में कपि, संकटमोचन नाम तिहारो ॥ 7 ॥

काज किये बड़ देवन के तुम, वीर महाप्रभु देखि बिचारो ।

कौन सो संकट मोर गरीब को, जो तुमसों नहिं जात है टारो ॥

बेगि हरो हनुमान महाप्रभु, जो कछु संकट होय हमारो ।

को नहिं जानत है जग में कपि, संकटमोचन नाम तिहारो ॥ 8 ॥

॥ दोहा ॥

लाल देह लाली लसे, अरू धरि लाल लंगूर ।

बज्र देह दानव दलन, जय जय जय कपि सूर ॥

Pawansut Hanuman Ki Jai

Jai Shri Ram

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